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Showing posts from December, 2016

लज्जा देवी की प्राचीन प्रतिमा गड़शिवनी

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लज्जा देवी की प्राचीन प्रतिमा गड़शिवनी

मुंगई माता बावनकेरा पटेवा महासमुंद

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मुंगई माता बावनकेरा ग्राम के निकट राष्ट्रीय राजमार्ग 53 के किनारे स्थित मुंगई माता मंदिर में हुई। भालू आने की सूचना प्राप्त होते ही ग्रामीण तथा राहगीर बहुत बड़ी संख्या में इकट्ठे हो गए तथा भालू को नारियल , बिस्कुट , प्रसाद आदि खिलाने लगे। भालू एक हिंसक वन्यप्राणी है। उसके निकट जाने पर वह अपनी प्रवृत्ति के अनुरुप कभी भी किसी भी बात पर हिंसक हो कर आपको घायल कर सकता है। वनमंडल अधिकारी आशुतोष मिश्र ने अपील की है कि मंदिरों के निकट इस तरह आने वाले भालूओं को खाने के लिए दें जिससे वे स्वयं वहां आना बंद कर देगें। वहीं चंडी मंदिर में एक महिला भालू को कुछ खिलाते हुए फोटो खिंचवा रही थी उसी समय कैमरा के फ्लैश से भालू विचलित हो गया था , क्योंकि भालू आग एवं तेज रोशनी से डर कर दूर भागता है या तत्काल हमला कर घायल कर सकता है। पर पूर्ण लेख   अब मुंगई माता मंदिर में भी   पहुंच रहे भालू में    

घटारानी Ghatarani Waterfalls

घटारानी  hatarani  Waterfalls, Raipur: See 31 reviews, articles, and 18 photos of  Ghatarani  Waterfalls, ranked No.7 on TripAdvisor among 44 attractions in Raipur.

बिलाई माता धमतरी में गर्भगृह में तिरछी स्थापित है देवी प्रतिमा

देश में स्थापित लगभग सभी मंदिरों में भगवान की मूर्ति के दर्शन मुख्यद्वार से सीधे हो जाते है। लेकिन धमतरी शहर की आराध्य देवी मां बिलाई माता ने नाम से जाना जाता है यहां गर्भगृह में देवी की मूर्ति तिरछी स्थापित है। ऐसा नहीं है कि मंदिर का निर्माण मूर्ति स्थापना बाद जानबूझकर तिरछा करवाया गया हो, न ही मंदिर बनने के बाद मूर्ति की तिरछी स्थापना की गई है। जिस समय मंदिर का निर्माण हुआ उस समय जमीन से निकली देवी की प्रतिमा पूरी तरह बाहर नहीं आई थी। मंदिर निर्माण के बाद जब कालांतर मूर्ति बाहर आई तो मूर्ति मंदिर के मुख्य द्वार से थोड़ी तिरछी नजर आती है।

आदिशक्ति मां अंगारमोती (गंगरेल बांध)

Then, we went to Dhamtari. Dhamtari is a small town located on the fertile plains of Chhattisgarh and is 78 km south of Raipur. It has a rich cultural heritage and is famous for its dance styles, cuisine, music and traditional folk songs. Dhamtari is also one of the major diamond producing centers in the state. In Dhamtari we went to see the famous Bilai Mata Temple. Entry Timings: From morning 5 am to 1 pm and from afternoon 3pm to 10 pm. Aarti timings: Morning: 5.15 am and Evening: 8 pm. Photos of the temple:

सिंघोड़ा मंदिर सरायपाली

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यह मंदिर (माता रुद्रेश्वरी मंदिर ,सिंघोड़ा) महासमुंद जिले के सरायपाली ब्लाक में स्थित है, जो जिले से लगभग 110 किमी. की दुरी पर NH53 हाईवे के किनारे स्थित है .        इसका निर्माण बाबा श्री शिवानन्द जी के द्वारा लगभग 25 – 30 वर्ष पहले किया गया था .  मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण बाबा ने भिक्षा मांगकर तथा इस मार्ग से जाने वाले ट्रक व् अन्य यात्रियों को मंत्र के द्वारा रोककर मंदिर निर्माण हेतु सहायता मांगकर किया था. एवं कहा जाता है मंदिर कि निर्माण के बाद इसमें 108 बलि देकर देवी माँ कि स्थापना बाबा ने कि थी    और मान्यता है अभी भी मंदिर के अन्दर एक गुफा है . जिसमे स्यवं काली माँ विराजमान हैं जो प्रति वर्ष रक्त का सेवन करती हैं, तथा कहते हैं कि उस गुफा का द्वार माता कि प्रतिमा के ठीक पिछे है. जहाँ प्रमुख पुझारी के अलाव किसी को जाने की आनुमति नहीं है . सामान्यतः मंदिर में  सीढियाँ हैं जो मंदिर के मुख्य द्वार तथा दो ज्योति कुञ्ज तक जाती है, जिसमे एक कुञ्ज मे

महादेव पठार गौरखेड़ा प्राचीन शिव लिंग

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महादेव पठार  गौरखेड़ा  प्राचीन शिव लिंग गौरखेड़ा ग्राम से करीब ३-४ कि.मी की दूरी पर उत्तर दिशा की ओर,जंगलो से घिरा हुवा ,एक पठारी मैदान है| इस मैदान में एक अति प्राचीन बोधि –वृक्ष [पीपल वृक्ष] वृक्ष है| वृक्ष के नीचे एक शिवलिंग स्थापित है,जिसे बाबाडेरा कहा जाता है| बोधि वृक्ष से करीब ३ कि.मी. कि दूरी पर दक्षिण कि ओर हजारो वर्ष प्राचीन एक वट-वृक्ष है,अवलोकन करने से,यह जगह साधना योग्य स्थान मालूम पड़ता है| यही पर काले रंग के पत्थरो से युक्त एक भव्य गुफा है जिसे स्थानीय लोग ‘’रानी – खोल’’कहते है| बाबाडेरा  से करीब ३ कि.मी. कि दूरी पर नीचे कि ओर तराई में घनघोर  जंगल है| इस जंगल में एक बारहमासी नाला बहता है| नाला के इर्द-गिर्द  आम्रवन  है| इस जगह का भौतिक  आकलन करने से यहाँ कभी वैभव सम्पन बस्ती होने का आभास होता है| संभवत हजारो वर्ष पूर्व वसीयत होने का अंदेशा होता है| मालूम होता है कि यही वह स्थान है,जहाँ कभी राजा भीमसेन द्वतीय  का बसाया  हुवा चम्पापुर नामक गढ़ रहा होगा| इस स्थान से कुछेक दूरी पर परसापानी तथा  लड़ारीबाहरा नामक वीरान जंगल है,जहाँ कभी कृषि कार्य किया रहा होगा| क्योकी इस स्

माँ सोनई और रुपई

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छत्तीसगढ़ के जिला महासमुंद मुख्यालय से लगभग 15 कि.मी. दूर ग्राम खट्टी की पहाड़ियों पर विराजमान है  माँ सोनई और रुपई। माँ सोनई और रुपई को दो बहनो के रूप मे पुजा जाता है ,  इन्हे स्वप्न देवी के नाम से भी जाना जाता है । सोनई रुपई माँ का मंदिर ग्राम खट्टी से परसदा की ओर जाने वाले मार्ग मे सुंदर पहाड़ियो पर स्थित है। पहाड़ी पूरी तरह वृक्षो से आक्छादित है जिसकी हरियाली अत्यंत मनमोहक है। पहाड़ो पर वन्य प्राणियों की चहल कदमी भी अक्सर देखने को मिलती जो यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बना रहता है। 

बड़ी खल्लारी माता मंदिर बेमचा badi khallari temple

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महासमुंद से मात्र 4 कि. मी. कि दूरी पर  ग्राम  बेमचा मे स्थित है बड़ी  खल्लारी  माता  मंदिर इस मंदिर कि ग्रामीणो मे बहुत  मान्यता  है कहते है  सबसे पहले  खल्लारी माता का  आगमन इसी गाँव मे हुआ था। इसके बाद माँ भीमखोज स्थित पहाड़ी पर जाकर निवास करने लगी। badi khallari mandir

सिद्ध बाबा मंदिर कोसरंगी महासमुंद

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सिद्ध बाबा मंदिर, महासमुंद से बागबाहरा मार्ग पर ग्राम कोसरंगी में स्थित है। महासमुंद से इसकी दुरी महज 10 km. है। ग्रामीणो के  अनुसार मंदिर करीब 150 से 200 साल पुराना है मंदिर उची पहाड़ी पर स्थित है।  प्रकृति प्रेमियों के लिए यह स्थान आकर्षण का केंद्र है। 

हथखोज मेला महासमुंद

ग्राम हथखोज महासमुंद जिला से 14 km की दुरी पर स्थित है।  यहाँ महानदी एवं अन्य 6 सहायक नदियों का संगम है इस कारण इसे सप्त धारा संगम भी कहा जाता है।

चम्पई माता मोहंदी महासमुंद

चम्पई माता मोहंदी महासमुंद

स्वेत गंगा बम्हनी महासमुंद

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यह महासमुंद जिले में स्थित है। यहां पर बह्नेश्वर महादेव का प्राचीन मन्दिर व श्वेत गंगा नामक जल-कुण्ड प्रसिद्ध है।

चंदखुरी का प्राचीन शिव मन्दिर

चंदखुरी यह रायपुर के पास स्थित है। यहां का प्राचीन शिव मन्दिर प्रसिद्ध है।]]

सिहावा छत्तीसगढ़ की जीवनदायिनी महानदी का उद्गम

यह नगरी से 8 किमी. दूर स्थित है। श्रृंगी ऋषि पर्वत से छत्तीसगढ़ की जीवनदायिनी महानदी का उद्गम हुआ है। यहां के अन्य प्रसिद्ध मन्दिरों में कर्णेश्वर महादेव, मातागुड़ी, मोखला मांझी एवं भिम्बा महाराज है।

तुरतुरिया

यह महासमुंद जिले में है। यहां बहरिया ग्राम के पास बाल्मीकी आश्रम स्थित है। यहां का काली मन्दिर भी प्रसिद्ध है।

आरंग एक प्राचीन नगरी

रायपुर से संबलपुर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 6 पर रायपुर से 36 किमी. दूरी पर स्थित आरंग एक प्राचीन नगरी है। सजिसका उल्लेख पुराणों में मिलता है। बाद्य देवल मन्दिर एवं महामाया मन्दिर यहां के पौराणिक मन्दिरों में से एक हैं।

चण्डी माता बिरकोनी महासमुंद Chandi Mandir - Chhattisgarh

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The Chandi Temple of Birkoni is a popular religious centre of Mahasamund and is dedicated to Goddess Chandi Devi. The temple is located in the Birkoni village of Mahasamund. One of the major attractions of this temple is the celebration of Navaratri that is organised during the Chaitra and Kuwar month. Thousands of devotees throng the temple and offer prayers to the presiding deity and seek her blessings. The shrine can be reached by going north on NH7.        chandi mata birkoni

चण्डी माता मंदिर घुंचापाली

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The chandi Mata temple is situated in village ghunchapali just 6-7km. From bagbahara a tahsil place of mahasamund district in chhattisgarh .the temple is located on a Small hill sarraunded by beautiful forest and rocky knobs. The very surprising thing about the temple is many bear's are coming regularly in temple premises from sarraunding forest in evening and they take... chandi mata mandir