महादेव पठार गौरखेड़ा प्राचीन शिव लिंग
महादेव पठार गौरखेड़ा प्राचीन शिव लिंग
गौरखेड़ा ग्राम से करीब ३-४ कि.मी
की दूरी पर उत्तर दिशा की ओर,जंगलो से घिरा हुवा ,एक पठारी मैदान है| इस मैदान में
एक अति प्राचीन बोधि –वृक्ष [पीपल वृक्ष] वृक्ष है| वृक्ष के नीचे एक शिवलिंग
स्थापित है,जिसे बाबाडेरा कहा जाता है| बोधि वृक्ष से करीब ३ कि.मी. कि दूरी पर
दक्षिण कि ओर हजारो वर्ष प्राचीन एक वट-वृक्ष है,अवलोकन करने से,यह जगह साधना
योग्य स्थान मालूम पड़ता है| यही पर काले रंग के पत्थरो से युक्त एक भव्य गुफा है
जिसे स्थानीय लोग ‘’रानी – खोल’’कहते है| बाबाडेरा से करीब ३ कि.मी. कि दूरी पर नीचे कि ओर तराई
में घनघोर जंगल है| इस जंगल में एक
बारहमासी नाला बहता है| नाला के इर्द-गिर्द
आम्रवन है| इस जगह का भौतिक आकलन करने से यहाँ कभी वैभव सम्पन बस्ती होने
का आभास होता है| संभवत हजारो वर्ष पूर्व वसीयत होने का अंदेशा होता है| मालूम
होता है कि यही वह स्थान है,जहाँ कभी राजा भीमसेन द्वतीय का बसाया
हुवा चम्पापुर नामक गढ़ रहा होगा| इस स्थान से कुछेक दूरी पर परसापानी
तथा लड़ारीबाहरा नामक वीरान जंगल है,जहाँ
कभी कृषि कार्य किया रहा होगा| क्योकी इस स्थान पर खेतो का तटबंध वर्तमान कृषि के
अवशेष है| संभवत:चम्पापुर के निवासी
जीवकोपार्जन हेतु कृषि कार्य करते थे| आज ये जगा वीरान हो गया है पर आज भी अतीत की
यादो को अपने में समा कर खामोश बैठी है| जैसी कि खुछ कहना चाहती हो?
प्राप्त जानकारी डॉ.जी.पी
चन्द्राकर मोहंदी से है|
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